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बेगुनाह सताया जैसी इतवार है मां कोई नहीं मोहब्बत हार पहले जैसी मैं भी तो लड़कों जैसी हूँ प्रकृति जैसी करनी वैसी भरनी लौटो मूल्य की ओर

Hindi जैसी महामारी Poems